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Saturday, August 17, 2013

अफगानिस्तान से पृथ्वीराज चौहान की अस्थियां लेकर लौटा था शमशेर?

(तस्वीर: गजनी में मौजूद पृथ्वी राज की समाधि को अपमानित करता अफगानी)
नई दिल्ली. कुछ घंटे पहले हमने अपनी आजादी की 67 वीं वर्षगांठ धूमधाम से मनाई। इस मौके पर देश ने अपने महान सपूतों और वीरांगनाओं को याद किया। लेकिन क्या आपको मालूम है कि भारत पर अंग्रेजों के कब्जे से कई शताब्दियों पहले ही विदेशी आक्रमणकारियों ने हमारी जमीन को नापाक करने की कोशिश की थी? 

सबसे पहले 1001 ईस्वी में मध्य पूर्व एशियाई लुटेरे महमूद गजनवी ने भारत के बड़े हिस्से में लूटमार की शुरुआत की थी। उसने जबर्दस्ती धर्म परिवर्तन भी कराए। गजनवी को भारत में ज्यादा संघर्ष नहीं करना पड़ा था। गजनवी ने ही सोमनाथ मंदिर को 'अपवित्र' किया था। गजनवी ने 17 बार भारत पर हमला किया था। गजनवी के जाने के करीब डेढ़ सौ साल बाद अफगानिस्तान के घोर के रहने वाले आक्रांता मोहम्मद गोरी ने हिंदुस्तान पर नजर टेढ़ी की थी। उसने भी इस्लाम के विस्तार के नाम पर भारत के पश्चिम उत्तर में अत्याचार और लूटमार की थी। लेकिन भारत के एक वीर सपूत ने उसके दांत खट्टे कर दिए थे और पहली जंग में उसे बुरी तरह हरा दिया था।
पृथ्वीराज चौहान ने किए थे गोरी के दांत खट्टे
(तस्वीर: पाकिस्तान के पंजाब सूबे के झेलम जिले में मोहम्मद गोरी की मजार)
अफगानिस्तान के घोर के रहने वाले शहाबुद्दीन मोहम्मद गोरी को तब  हिंदुस्तान पर हमले की पहली कोशिश में कामयाबी मिली थी। उसने मुल्तान के मुस्लिम शासक को हराकर वहां कब्जा कर लिया था। लेकिन जब उसने गुजरात की ओर रुख किया तो उसे कायदरा में भीमदेव सोलंकी के हाथों हार का सामना करना पड़ा था। लेकिन गोरी ने यहीं हार नहीं मानी। उसने करीब 23 साल बाद 11911 में खैबर दर्रे को पार करते हुए भारत की ओर रुख किया था। उसने भठिंडा के किले पर कब्जा कर लिया। तब भठिंडा पृथ्वीराज चौहान की रियासत का हिस्सा था। गोरी ने बठिंडा के किले को काजी जियाउद्दीन को सौंपकर वापस जाने का फैसला किया था। लेकिन तभी उसे सूचना मिली कि पृथ्वीराज चौहान की सेना किले को दोबारा हासिल करने के लिए आ रही है। दोनों के बीच तराइन (आज के हरियाणा के थानेसर से 14 मील दूर) के मैदान में जंग हुई। जंग में गोरी को बुरी तरह से मात खानी पड़ी। गोरी को गिरफ्तार कर लिया गया। उसने माफी मांगते हुए आज़ाद किए जाने की मांग की। पृथ्वीराज के सलाहकार गोरी को छोड़ने के खिलाफ थे। लेकिन पृथ्वीराज ने दया दिखाते हुए गोरी को छोड़ दिया।

पृथ्वीराज की चूक पड़ी भारी 
 मोहम्मद गोरी पर दया दिखाना पृथ्वीराज पर भारी पड़ा। उसने एक साल बाद 1192 ईस्वी में करीब 1 लाख 20 हजार दासों (मामलूक) की फौज खड़ी कर पृथ्वीराज के राज्य पर फिर हमला किया। तराइन के मैदान में हुई दूसरी लड़ाई में पृथ्वीराज को हार का मुंह देखना पड़ा। गोरी पृथ्वीराज को गिरफ्तार कर अपने साथ अफगानिस्तान के गजनी इलाके में ले गया। लौटने से पहले मोहम्मद गोरी ने दिल्ली के तख्त पर कुतुबउद्दीन एबक को बैठा दिया और उसे सुल्तान घोषित कर दिया। पृथ्वीराज की हार के बाद भारत के मुख्य हिस्से पर इस्लामिक शासन की शुरुआत हुई। कई मायने में यह ऐतिहासिक घटना थी। 
पृथ्वीराज ने ले लिया था बदला! 
 मोहम्मद गोरी के बारे में इतिहासकार कहते हैं कि पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के झेलम जिले में एक विद्रोह को कुचलने के दौरान उसकी हत्या कर दी गई थी। लेकिन पृथ्वीराज के दरबारी कवि चंद्र बरदाई के काव्य पृथ्वीराज रासो के मुताबिक पृथ्वीराज ने मोहम्मद गोरी की हत्या कर अपनी हार का बदला ले लिया था। लेकिन इस बात के पुख्ता प्रमाण नहीं हैं।
आज भी अफगानिस्तान में मौजूद है पृथ्वीराज की 'समाधि' 
 अफगानिस्तान के गजनी शहर के बाहरी इलाके में आज भी पृथ्वीराज की समाधि मौजूद है। गोरी की मजार पाकिस्तान के पंजाब के झेलम जिले में है। कई इतिहासकार गोरी की मजार के गजनी शहर में होने का दावा करते हैं।
पृथ्वीराज की समाधि का अपमान कर रहे हैं अफगानी 
 'आर्म्स एंड आर्मर: ट्रेडिशनल वेपंस ऑफ इंडिया' नाम की किताब लिखने वाले ई जयवंत पॉल के मुताबिक, अफगानिस्तान के गजनी शहर के बाहरी इलाके में मौजूद पृथ्वीराज की समाधि आज बहुत ही बुरी हालत में है। गोरी की मौत के 900 साल बाद भी अफगानिस्तानी और पाकिस्तानी उसे अपना 'हीरो' मानते हैं। ये लोग गोरी की मौत का बदला लेने के लिए अपना गुस्सा पृथ्वीराज की समाधि पर निकालते हैं। पॉल की किताब के मुताबिक पृथ्वीराज की मजार के ऊपर एक लंबी मोटी रस्सी लटकी हुई है। कंधे की ऊंचाई पर इस रस्सी में गांठ लगी हुई है। स्थानीय लोग रस्सी की गांठ को एक हाथ में पकड़कर मजार के बीचोबीच अपने पैर से ठोकर मारते हैं
पृथ्वीराज की मजार से मिट्टी लेकर लौटने का दावा 
 एक भारतीय शमशेर सिंह राणा ने 2005 में यह दावा कर सनसनी फैला दी थी कि उसने अफगानिस्तान में मौजूद पृथ्वीराज की समाधि से मिट्टी लेकर लौटा है। राणा के मुताबिक उसने ऐसा कर भारत का सम्मान वापस लौटाया है।

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