Wednesday, October 24, 2012

अटलजींची कविता

हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥
मै शंकर का वह क्रोधानल कर सकता जगती क्षार क्षार
डमरू की वह प्रलयध्वनि हूं जिसमे नचता भीषण संहार
रणचंडी की अतृप्त प्यास मै दुर्गा का उन्मत्त हास
मै यम की प्रलयंकर पुकार जलते मरघट का धुँवाधार
फिर अंतरतम की ज्वाला से जगती मे आग लगा दूं मै
यदि धधक उठे जल थल अंबर जड चेतन तो कैसा विस्मय
हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥

डॉ. मोहनराव भागवत उद्बोधन

सरसंघचालक डॉ. मोहनराव भागवत के श्री विजयादषमी उत्सव 2012
(बुधवार दिनांक 24 अक्तुबर 2012) के अवसर पर दिये गये उद्बोधन का सारांष-

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siddharam patil photo

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