Friday, October 26, 2012

स्वामी विवेकानंद सार्ध शती

पंचमुखी कार्यक्रम

1. युवा शक्ति:
‘‘मेरा विश्वास आधुनिक युवा पीढ़ी में है। उनमें से मेरे कार्यकर्ता आएंगे और सिंह के समान सभी समस्याओं का समाधान करेंगे।’’ ऐसा स्वामी विवेकानन्द का विश्वास था। आज पूरे विश्व में भारत ही एकमात्र देश है जिसकी पचपन प्रतिशत आबादी युवा है। चिरयुवा प्राचीन भारत!!
स्वामीजी की सार्ध शती के अवसर पर 40 वर्ष की आयु से कम छात्र व गैर छात्र युवाओं द्वारा विवेकानन्द क्लब/विवेकानन्द युवा मंडली को प्रारंभ किया जाएगा। ये सेवा, आत्मविकास, अध्ययन, सुरक्षा व समरसता इन पाँच आयामों को अभिव्यक्त करते हुए कार्यक्रमों का आयोजन करेंगे।
देश के सभी शहरों में एकसाथ सामूहिक सूर्यनमस्कार महायज्ञ तथा अखिल भारतीय निबन्ध प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जायेगा।
2. प्रबुद्ध भारत - सामाजिक व वैचारिक नेतृत्व:
 स्वामी विवेकानन्द ने कहा था, ‘‘वे ही जीवित हैं जो दूसरों के लिए जीते हैं अन्यथा तो सभी मृतप्रायः हैं।’’ समाज के अग्रणी एवं प्रबुद्ध वर्ग पर राष्ट्रनिर्माण का महान दायित्व होता है। समाज के सभी क्षेत्रों में से इन वैचारिक पुरोधाओं तथा अभिमत निर्माताओं को जोड़ने के लिये निम्न कार्यक्रम आयोजित होंगे।
1. विमर्श व्याख्यानमाला: सामायिक विषयों पर
2. योग प्रतिमान- वरिष्ठ व्यावसायिक, सरकारी अधिकारी, सुरक्षाबल, अर्द्धसैनिक बल, जनप्रतिनिधि, शाला प्रबंधन, धार्मिक स्थानों के व्यवस्था प्रमुख, गैर शासकीय संस्थाओं (एनजीओ) के प्रमुख आदि के लिये योग पर आधारित विशेष प्रतिमान।
3. सेमिनार - राज्य, राष्ट्रीय, अंतर राष्ट्रीय स्तर पर स्वामी विवेकानन्द, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक मुद्दे तथा तात्कालिक महत्वपूर्ण विषयों पर सेमिनार तथा परिचर्चायें
4. प्रबुद्धजनों और शिक्षाविदों द्वारा प्रसार माध्यमों में स्वामी विवेकानन्द के चरित्र निर्माणकारी संदेश के बारे में लेख व व्याख्यान।
3. ग्रामायण -गाँव की ओर चलें:
‘‘नया भारत निकल पड़े... फिर निकले पड़े गाँववासी की झोंपड़ी से हल पकड़कर; मछुआरे की झुग्गी से निकल पड़े; . . . परचुन की दुकान से, भड़भूंजे के भाड़ से निकल पड़े नया भारत। नया भारत उभरे गुफओं और जंगलों से, पर्वतों और पहाड़ों से।’’ भारतीय व्याख्यानों में स्वामी विवेकानन्द ने यह आहवान किया था।
ग्राम समितियों का गठन किया जायेगा। उनके द्वारा भारतमाता पूजन, कथा कीर्तन, मेला, ‘मेरा गाँव मेरा तीर्थ’ आदि कार्यक्रमों का आयोजन होगा।
अस्पृश्यता, व्यसन, मतांतरण, पुलिस/कोर्ट तथा रासायनिक खाद पर निर्भरता से मुक्त ‘विवेक ग्राम’, ‘विवेक बस्ती’ के विकास हेतु दीर्घकालीन प्रकल्प।
4. संवर्धिनी - महिला सहभाग:
स्वामी विवेकानन्द ने कहा था, ‘‘शक्ति के बिना विश्व का पुनरुत्थान संभव नहीं है। ऐसा क्यों है कि हमारा देश सभी देशों में कमजोर और पिछड़ा हुआ है?- क्योंकि यहां शक्ति का अपमान होता है। शक्ति की कृपा के बिना कुछ भी साध्य नहीं होगा।’’
अतः महिलाओं के माध्यम से संस्कृति के संर्वद्धन सुरक्षा व सम्पे्रषण के लिए तथा उनकी सहभागिता को बढ़़ाने के उद्देश्य से समाज के विभिन्न स्तरों में सहभागिता, सेवा, विकास, संस्कृति तथा समरसता को प्रोत्साहित करने के लिए कार्यक्रम आयोजित हांेगे।
1. दम्पत्ति सम्मेलन - आधे या एक दिन के सम्मेलन में महिलाआंे की समाज जागरण में भूमिका तथा पुरुषों के घर और समाज में योगदान पर चर्चा होगी।
2. शक्ति सम्मेलन -  महिला सम्मेलनों के अन्तर्गत-
(क) प्रदर्शनियाँ- ‘इतिहास के भिन्न-भिन्न कालखंडों में भारतीय मातृशक्ति’, ‘भारतीय वीरांगनायें’, ‘विविध क्षेत्रों में महान नारियाँ’ आदि विषयों पर।
(ख) व्याख्यान, सेमिनार, कार्यशालाएं- विषय - महिला सहभागिता।
5. अस्मिता - जनजातिय समाज :
‘‘राष्ट्र का भवितव्य जनसामान्य की दशा पर निर्भर करता है। क्या तुम उन्हें ऊपर उठा सकते हो?उनके आतंरिक आध्यात्मिक सत्व को नष्ट किए बिना क्या तुम उन्हें अपना खोया परिचय वापस दिला सकते हो?’’ स्वामी विवेकानन्द ने चुनौति दी थी।
जनजातियों के लिये उनकी संस्कृति व उपासना परम्परायें उनका परिचय होता है। ये परमपरायें ही जनजातियों को संगठित व प्रकृति के साथ बनायें रखती हैं। इन परम्पराओं के खोने से वे अपना अस्तित्व, नैतिक मूल्य और शांति भी खो देते हैं। उन्हें समय के साथ आगे बढ़ने के लिये, सांस्कृतिक परमपराओं के माध्यम से विकास करने के लिये सम्बल आवश्यक है। अतः ‘‘संस्कृति के माध्यम से विकास‘‘ के ध्येय से जनजातियों का स्वयं में व अपनी संस्कृति में आत्मविश्वास बढ़ाने के लिये कार्यक्रमों का आयोजन होगा।
कार्यक्रमों का केन्द्रबिन्दु ‘‘आस्था का खोना, संस्कृति का अंत और संस्कृति का खोना, अस्तित्व का अंत’’
1. जनजाति मंच सम्मेलन  2. ग्राम प्रमुख बैठकें  3. जनजाति उत्सवों को  प्रोत्साहन

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