जयपुर. जोधपुर। पाकिस्तान
के सांघड़ जिले के झोल शहर में बीस साल से एक जमींदार की गाड़ी चलाने वाले
महेंद्रमल ने जब वेतन मांगा तो उसे जंजीर में जकड़ कर दो दिन तक जबर्दस्त
यातनाएं दी गईं। भेड़-बकरियों को बांधने वाली लोहे की 'सांकळ' उसके गले में
डाल कर दोनों हाथ बांध दिए गए। फिर तीन-चार लोगों ने इतना पीटा कि वह मर
गया। इसके बाद उसका शव शहर से बाहर फेंक दिया गया। महेंद्रमल के घरवालों ने
झोल थाने में मुकदमा दर्ज कराने की हिम्मत तो जुटाई, मगर पाकिस्तानी पुलिस
ने एक भी आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया, उल्टा इस परिवार पर अत्याचार बढ़
गया।
http://www.bhaskar.com/article/c-10-1470656-3686228.html?OTS= भयभीत परिवार के आठ सदस्य थार एक्सप्रेस से भारत आए हैं। अब वे पाकिस्तान लौटना नहीं चाहते थे। परिवार के 15 सदस्य अभी भी वहीं अटके हुए हैं। वे भी वीजा मिलने का इंतजार कर रहे हैं। यह घटना कुछ समय पहले जोधपुर पहुंचे रेलूराम के परिवार की है। जोधपुर में इस परिवार ने दैनिक भास्कर संवाददाता को जब अपनी आपबीती बताई तो वह भी हैरान रह गए।रेलूराम ने जंजीर से जकड़े अपने मृत बहनोई महेंद्रमल का अपने मोबाइल फोन से लिया गया फोटो दिखाते हुए कहा कि यह सिंध में हो रहे अत्याचारों की तस्वीर है। उसके परिवार ने कई सितम झेले हैं। उसकी बहन विधवा हो चुकी है और छह भानजियां व दो भानजे अनाथ हो गए हैं। इस घटना के बाद पूरे परिवार ने भारत लौटने का इरादा किया और 23 जनों ने वीजा मांगा, मगर चार महीनों से किसी को वीजा नहीं मिला। फिर आठ जनों को धार्मिक वीजा पर भारत आने की इजाजत मिली। उसने बताया कि वे लोग पाकिस्तान नहीं लौटेंगे तथा वहां अटके लोग भी वीजा मिलते ही भारत चले आएंगे।शरणार्थी का दर्जा दे सरकार : सोढ़ा
पाक विस्थापित संघ के संयोजक हिंदूसिंह सोढ़ा ने बताया कि पाकिस्तान के पंजाब में हिंदू परिवार खत्म हो चुके हैं। पाकिस्तान में बसे 95 प्रतिशत हिंदू अब सिंध में ही बचे हैं और उनके भी इन दिनों बुरे हाल हैं। हम विभिन्न पार्टिंयों के सांसदों से मिल रहे हैं और अत्याचारों की आवाज संसद में उठाने का प्रयास कर रहे हैं। हमने मेमोरेंडम तैयार किया है जिसमें भारत आए हिंदू परिवारों को शरणार्थियों की दर्जा देने तथा तुरंत भारतीय नागरिकता दिलाने की मांग कर रहे हैं।
पेट पालने के लिए सहते थे प्रताडऩा
सांघड़ जिले के ही पेरूमल कस्बे में रहने वाला मोहनलाल 19 अगस्त को ही थार से भारत आया है। मोहन ने बताया कि उसने ढाई सौ एकड़ जमीन लीज पर ले रखी थी। सिंचाई कर अपने परिवार का पेट भरता था, मगर सिंचाई का पानी भी नहीं मिलता था। एक बार नौकरशाहों को रुपए देकर पानी खुलवाया तो जमींदार के लोग हथियार व ट्रैक्टर लेकर आए और पूरे परिवार को पीटा, फायरिंग की और ट्रैक्टरों से फसल तबाह कर दी। दुखी होकर मोहन भी अपना परिवार लेकर भारत आ गया।
बॉर्डर खुले तो सैकड़ों का पलायन
भारत आए सुमराराम, लूणाराम व मोहनराम के परिजन बताते हैं कि बाड़मेर-जैसलमेर बॉर्डर के दूसरी ओर बसे हिंदू परिवारों की स्थिति दयनीय है। यदि सरकार एक घंटे के लिए बॉर्डर खोल दे तो सैकड़ों लोग पाकिस्तान से पलायन कर चले आएंगे, मगर ऐसा संभव नहीं है। पाकिस्तान ने हिंदू परिवारों को रोकना शुरू कर दिया है। वजह एकमात्र यह है कि जमींदारों के खेतों में भील, मेघवाल, बागरी, कोली आदि हिंदू परिवार ही काम करते हैं। लूणाराम के परिवार के 30 जनों ने वीजा का आवेदन किया था, मगर उसके दो बेटों को ही वीजा मिल पाया। इन लोगों ने बताया कि थार के पिछले दो फेरों में 40 जने विजिट वीजा तथा 19 जने धार्मिक वीजा पर भारत आए हैं। इनमें से कोई भी वापस नहीं जाना चाहता।
जंजीर में बंधे अपने बहनोई महेंद्रमल का यह फोटो जोधपुर आए रेलूमल ने उपलब्ध कराया है। रेलूमल ने बताया कि हिंदू परिवारों की खोखरापार रेलवे स्टेशन पर तलाशी ली जाती है, जिसमें अत्याचारों की एक भी तस्वीर लाने नहीं देते हैं। बहनोई का यह फोटो उसके मोबाइल में था और पाकिस्तानी अफसरों की नजर में नहीं आया था।
http://www.bhaskar.com/article/c-10-1470656-3686228.html?OTS= भयभीत परिवार के आठ सदस्य थार एक्सप्रेस से भारत आए हैं। अब वे पाकिस्तान लौटना नहीं चाहते थे। परिवार के 15 सदस्य अभी भी वहीं अटके हुए हैं। वे भी वीजा मिलने का इंतजार कर रहे हैं। यह घटना कुछ समय पहले जोधपुर पहुंचे रेलूराम के परिवार की है। जोधपुर में इस परिवार ने दैनिक भास्कर संवाददाता को जब अपनी आपबीती बताई तो वह भी हैरान रह गए।रेलूराम ने जंजीर से जकड़े अपने मृत बहनोई महेंद्रमल का अपने मोबाइल फोन से लिया गया फोटो दिखाते हुए कहा कि यह सिंध में हो रहे अत्याचारों की तस्वीर है। उसके परिवार ने कई सितम झेले हैं। उसकी बहन विधवा हो चुकी है और छह भानजियां व दो भानजे अनाथ हो गए हैं। इस घटना के बाद पूरे परिवार ने भारत लौटने का इरादा किया और 23 जनों ने वीजा मांगा, मगर चार महीनों से किसी को वीजा नहीं मिला। फिर आठ जनों को धार्मिक वीजा पर भारत आने की इजाजत मिली। उसने बताया कि वे लोग पाकिस्तान नहीं लौटेंगे तथा वहां अटके लोग भी वीजा मिलते ही भारत चले आएंगे।शरणार्थी का दर्जा दे सरकार : सोढ़ा
पाक विस्थापित संघ के संयोजक हिंदूसिंह सोढ़ा ने बताया कि पाकिस्तान के पंजाब में हिंदू परिवार खत्म हो चुके हैं। पाकिस्तान में बसे 95 प्रतिशत हिंदू अब सिंध में ही बचे हैं और उनके भी इन दिनों बुरे हाल हैं। हम विभिन्न पार्टिंयों के सांसदों से मिल रहे हैं और अत्याचारों की आवाज संसद में उठाने का प्रयास कर रहे हैं। हमने मेमोरेंडम तैयार किया है जिसमें भारत आए हिंदू परिवारों को शरणार्थियों की दर्जा देने तथा तुरंत भारतीय नागरिकता दिलाने की मांग कर रहे हैं।
पेट पालने के लिए सहते थे प्रताडऩा
सांघड़ जिले के ही पेरूमल कस्बे में रहने वाला मोहनलाल 19 अगस्त को ही थार से भारत आया है। मोहन ने बताया कि उसने ढाई सौ एकड़ जमीन लीज पर ले रखी थी। सिंचाई कर अपने परिवार का पेट भरता था, मगर सिंचाई का पानी भी नहीं मिलता था। एक बार नौकरशाहों को रुपए देकर पानी खुलवाया तो जमींदार के लोग हथियार व ट्रैक्टर लेकर आए और पूरे परिवार को पीटा, फायरिंग की और ट्रैक्टरों से फसल तबाह कर दी। दुखी होकर मोहन भी अपना परिवार लेकर भारत आ गया।
बॉर्डर खुले तो सैकड़ों का पलायन
भारत आए सुमराराम, लूणाराम व मोहनराम के परिजन बताते हैं कि बाड़मेर-जैसलमेर बॉर्डर के दूसरी ओर बसे हिंदू परिवारों की स्थिति दयनीय है। यदि सरकार एक घंटे के लिए बॉर्डर खोल दे तो सैकड़ों लोग पाकिस्तान से पलायन कर चले आएंगे, मगर ऐसा संभव नहीं है। पाकिस्तान ने हिंदू परिवारों को रोकना शुरू कर दिया है। वजह एकमात्र यह है कि जमींदारों के खेतों में भील, मेघवाल, बागरी, कोली आदि हिंदू परिवार ही काम करते हैं। लूणाराम के परिवार के 30 जनों ने वीजा का आवेदन किया था, मगर उसके दो बेटों को ही वीजा मिल पाया। इन लोगों ने बताया कि थार के पिछले दो फेरों में 40 जने विजिट वीजा तथा 19 जने धार्मिक वीजा पर भारत आए हैं। इनमें से कोई भी वापस नहीं जाना चाहता।
जंजीर में बंधे अपने बहनोई महेंद्रमल का यह फोटो जोधपुर आए रेलूमल ने उपलब्ध कराया है। रेलूमल ने बताया कि हिंदू परिवारों की खोखरापार रेलवे स्टेशन पर तलाशी ली जाती है, जिसमें अत्याचारों की एक भी तस्वीर लाने नहीं देते हैं। बहनोई का यह फोटो उसके मोबाइल में था और पाकिस्तानी अफसरों की नजर में नहीं आया था।
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