वाशिंगटन. अमेरिका ने
इस्लामी देश पाकिस्तान और
बांग्लादेश में रह
रहे अल्पसंख्यक हिंदुओं के
जबरन धर्म परिवर्तन का
डर जाहिर किया
है। इस मुद्दे
पर चिंता जाहिर
करते हुए अमेरिका ने
हिंदुओं के खिलाफ
हुई हिंसा के
उदाहरण भी पेश
किए हैं।
http://www.bhaskar.com/article/INT-hindus-living-in-fear-of-forceful-religion-change-usa-3595835-NOR.html?HT5='अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता' विषय पर अमरीकी विदेश विभाग द्वारा जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान में हिंदुओं को अपहरण और जबरन धर्म-परिवर्तन का डर लगा रहता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बांग्लादेश में रहने वाले हिंदू और दूसरे धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों को मुस्लिम बहुल आबादी की हिंसा और भेदभाव का सामना करना पड़ता है।
हिंदू लड़कियों का अपहरणपाकिस्तान में कुल आबादी में पांच प्रतिशत से भी कम अल्पसंख्यक हैं जिनमें हिंदुओं की अधिकता है। अमेरिका द्वारा जारि रिपोर्ट में सरकार पर अल्पसंख्यकों के हकों की रक्षा करने में नाकाम रहने का भी आरोप लगाया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है, 'धार्मिक अल्पसंख्यकों का दावा है कि जबरन धर्म-परिवर्तन रोकने के लिए सरकारी कार्रवाई नाकाफी है।' पाकिस्तान मानवाधिकार परिषद और पाकिस्तान हिंदू परिषद के मुताबिक हिंदू समुदाय की 20-25 लड़कियां हर महीने अगवा की जाती हैं और उन्हें जबरन इस्लाम कुबूल करने के लिए मजबूर किया जाता है।
अमेरिकी विदेश विभाग द्वारा दिए गए उदाहरण के मुताबिक बीते साल 9 नवम्बर को सिंध सूबे के शिकारपुर जिले में चार हिंदू डॉक्टरों की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। कहा जाता है कि ये हमला एक हिंदू मर्द और मुस्लिम औरत के बीच नाजायज संबंध की वजह से हुआ था।इस मामले की पड़ताल एक साल से लंबित है।
रिपोर्ट के मुताबिक बांग्लादेश में भी अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव किया जाता है। बांग्लादेश में हिंदू, ईसाई और बौद्ध धर्म को मानने वाले अल्पसंख्यकों को मुस्लिम बहुल इलाकों में भेदभाव का शिकार होना पड़ता है. कभी-कभी उनके साथ हिंसा भी होती है। राहत की बात यह है कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के प्रति भेदभाव और हिंसा के मामले पिछले वर्षों की तुलना में कम हो रहे हैं।
बांग्लादेश के एक सम्पत्ति कानून की वजह से हिंदू अपने अपनी सम्पत्ति पर दावा नहीं कर सकते हैं जिस कारण कई हिंदू परिवारों को अपनी संपत्ति से बेदखल भी होना पड़ रहा है। इस विवादित कानून को अवामी लीग सरकार ने वर्ष 2001 में हटा दिया था लेकिन बाद में आई सरकार ने इसे दोबारा लागू कर दिया था।
इस रिपोर्ट में ढाका विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर के अध्ययन का हवाला देते हुए कहा गया है कि इस कानून की बुनियाद पर बांग्लादेश की सरकार ने लगभग 26 लाख एकड़ जमीन हथिया ली है जिससे देश के तमाम हिंदुओं पर असर पड़ा है।
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