Saturday, December 29, 2012

विवेक विचार मासिक - डिसेंबर २०१२

नमस्ते,
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डिसेंबर २०१२
डिसेंबर २०१२ चा अंक  डिसेंबर २०१२
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Sunday, December 23, 2012

मोदींचा विजय आणि दायित्व धर्म

तरुण विजय

$img_titleगुजरातकडे सार्‍या देशाचे लक्ष लागले होते. भारतीय राजकारणात गुजरातमधील निवडणुकांचे निकाल निर्णायक आणि दूरगामी परिणाम करणारे राहणार असल्याने त्याकडे देशातीलच नव्हे, तर विदेशातील सरकारांचेदेखील लक्ष लागले होते. या निवडणुकांच्या निकालांमुळे जशी भारतीय जनता पार्टी आणि नरेंद्र मोदी यांची छाती अभिमानाने फुलली, त्याचप्रमाणे या निकालांमुळे भारताची लोकशाही आणि जन-गण-मनच्या सर्वोच्च स्थानालाही पुन्हा अधोरेखित केले.

Sunday, December 16, 2012

स्वामी विवेकानंद और भारतीय युवा


अक्तूबर २०१२ मे कन्याकुमारी के विवेकान्द केंद्र मुख्यालय - विवेकानंदपुरम में  भारत जागो ! विश्व जगाओ !! महाशिबिर का आयोजन हुआ। इस शिबिर मे ६७६ युवा संमिलीत हुये. इस महाशिबीर मे दिये गये भाषानोंसे याह आलेख प्रस्तुत ही....

 सम्पूर्ण भारत परिभ्रमण करके स्वामी विवेकानंद कन्याकुमारी आये। कन्याकुमारी में उन्होंने माँ पार्वती के चरणों में प्रार्थना की और अपने जीवन के उद्देश का साक्षात्कार कर लिया। माँ का कार्य याने भारत माता का कार्य इस बात को उन्होंने समझ लिया। सम्पूर्ण विश्व को जगाने के लिए उन्होंने माँ पार्वती से शक्ति प्राप्त की। उन्हें माँ पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त हुआ। उसी प्रेरणा से सागर में स्थित श्रीपाद शिलापर 3 दिन और 3 रात्रि तक अखंड ध्यान किया। अपने ध्यान में उन्होंने अखंड भारत देखा। देश की स्थिति समझ ली। भारतवासीयोंके उद्धार के लिए एक व्यापक योजना बनाई। स्वामीजी कहते है, भारत के पतन का कारण भारत का असंगठित जीवन है। विश्व के अन्य लोगोंकी तुलना में हम अत्यंत हीन जीवन व्यतीत कर रहे है। हम आलसी बन गए है। हम घोर तामस से ग्रस्त है। व्यर्थ विवादोंमे उलझ गये  है। इसी बात का फायदा विदेशियों ने उठाया। उन्होंने हमें गुलाम बनाकर बुरी तरह लुटा। 
जननायको ने प्रेरणा ली ऐसे निराशाजनक स्थिति से भारतीय समाज को अध्यात्मिक चेतना से स्वामीजी ने जागृत किया। विश्व सम्मेलन से सफल होकर लौटने के बाद स्वामीजीने तुरंत राष्ट्र को संगठित करना प्रारंभ किया। युवकों को एकत्र करने के लिए कोलम्बो से अल्मोरा तक युवा शक्ति को मार्गदर्शन किया। 1905 में बंगाल के विभाजन के विरुद्ध लढने के लिए कई युवकों ने स्वामीजी से प्रेरणा ली। लो। तिलक, सुभाष बोस, सरदार पटेल, राजेंद्र प्रसाद ऐसे जननायको ने स्वामीजी से प्रेरणा ली।समर्पण की तयारी 
इतिहास के इस बात को समझकर हमें नि:स्वार्थ भाव से देश के लिए काम करना होगा। समर्पित जीवन की प्रेरणा स्वामीजी के विचारोंसे लेनी होगी। आज देश के लिए युवा शक्ति की अत्यंत आवश्यकता है। इसलिए विवेकानंद केंद्र से जुड़कर हमें मनुष्य निर्माण व राष्ट्र निर्माण के लिए काम करना होगा। सेवाव्रती, शिक्षार्थी, जीवनव्रती के रूप में हमें समय दान देना होगा। यह समय की मांग है की विवेकानंद केंद्र से जुडो और अपना समय दो। हमें प्रत्येक घर में सनातन जीवन मूल्य पहुँचाना है। कार्यकर्ता निर्माण करना है। इसलिए भारतमाता की चरणों मे सम्पूर्ण समर्पण की तयारी रखिये।
 केवल भारत में ही नहीं विश्व के अन्य देश तथा व्यक्तियों ने भी स्वामी विवेकानंद से प्रेरणा ग्रहण की। जापान के प्रधान मंत्री भारत आये तो उन्होंने कहा हमने जो प्रगति की है उसके पीछे स्वामी विवेकानंद की ही प्रेरणा है। कारण जापान के द्रष्टा महापुरुष तेनसिन ओकेकुरा ने स्वामी विवेकानंद से प्रेरणा ली थी।

 त्याग और सेवा का अमर सन्देश स्वामी विवेकानंद ने भारत परिभ्रमण के दौरान धर्म की अवनति, टूटते जीवनमूल्य, गरीबी, निर्धनता, अज्ञान आदि बातें देखि। दूसरी ओर उन्होंने देखा की इन स्थितियों में भी भारत की धार्मिक और आध्यात्मिक धरोहर सशक्त है। सांस्कृतिक भावधारा अक्षुण्ण है। विश्व को परिवार समजने की भावना काफी प्रबल है। सम्पूर्ण विश्व में एकात्मता की भावना को जन्म देनेवाली यह संस्कृति महानतम है। इसी महानतम संस्कृति ने सदियों से विश्व को त्याग और सेवा का अमर सन्देश दिया। 11 सितम्बर 1893 के बाद स्वामी विवेकानंद अमरीका में  गणमान्य व्यक्ति बन गए। अमरिका में उन्होंने वैभव सम्पन्नता को देखा। सुख सुविधा होते हुए भी अपने देशवासियोंके स्मरणमात्र से वे रातभर रोते रहे। राष्ट्रप्रेम के कारण ही उन्होंने भारत में आकर युवकों का संघटन बनाया। युवको को प्रेरणा दी।अमर सन्देश भारत जागो विश्व जगाओ, यह स्वामी विवेकानंद का अमर सन्देश है। यह सन्देश याने उनके कार्य का निचोड़ है। आज भारत सोया हुआ है। तामस से पीड़ित है। जो विश्व को जगा सकता है, वही सो रहा है। इसलिए हमें स्वामी विवेकानन्द के विचारों को अच्छी तरह आत्मसात करना होगा। भोगवाद को नष्ट करने का तत्त्वज्ञान विश्व में आज केवल भारत के पास ही है। हमारा देश आज भी जीवित है क्यों की हमारे पूर्वजों ने हमारे समाज की व्यवस्था अद्वैत तत्वज्ञान पर खडी की है। आज हमें यह समझाना होगा की हमारे संस्कृति में ऐसा क्या है की जिसका हम त्याग कभी भी न करे और ऐसा क्या है की जिसमे हम समय के साथ परिवर्तन कर सकते है। यह सब छोड़कर आज प्रत्येक व्यक्ति 'क्रायींग बेबीज' बन गए है। जब तक हम निर्दोष नहीं होंगे तब तक हमारे प्रगति का मार्ग प्रशस्त नहीं होगा। युवाओं की आवश्यकताइसलिए स्वामीजी कहते है, मुझे ऐसे युवाओं की आवश्यकता है जो अपने समाज पर प्रेम करे और अपने ह्रदय को विशाल तथा व्यापक बनाये। समाज की समस्त समस्याओं को समझते हुए अपना समय दान देगा। हमारे पूर्वजों ने अनेक आक्रमणों और कष्टों को सहकर इस पवित्र आध्यात्मिक संस्कृति का जतन किया। हमारे मन में अपने पवित्र संस्कृति के प्रति सन्मान और स्वाभिमान जागृत करे। इसलिए आओ, हम अपने धरोहर को समझते हुए स्वयं जगकर विश्व को जगाएं। सार्ध शती समारोह आज भारत अनेक गुप्त आक्रमणों का सामना कर रहा है। इस अवस्था में सभी स्थरो पर देश वासियों की नैतिकता गिरती जा रही है। आज हमें इन स्थितियों से उभरने के लिए अपने अंतर आत्मा को जागृत करते हुए सम्पूर्ण देश में भव्य दिव्य रूप में सार्ध शती समारोह के उपक्रमों को ले जाना है। इसलिए स्वार्थ त्याग कर राष्ट्र का पुनर्निमाण हमें करना है। इस हेतु गांव गांव, शहर शहर पहुँचाने के लिए पांच आयामों के माध्यम से हम कार्य करेंगे। देश के युवाओं को सही दिशा देने के लिए युवा शक्ति आयाम के माध्यम से हमें काम करना है। अग्रेंजों को देश से निकलने के लिए इस देश में यदि क्रांतिकारियों का निर्माण हो सकता है तो देश के नकारात्मकता व दुर्बलता को दूर करने के लिए निस्वार्थी युवा कार्यकर्ता क्यों नहीं।
संकलन - सिद्धराम 

संपादक, विवेक विचार

Saturday, December 15, 2012

ISLAM Christen missionaries IN JAPAN

BRIG HEMANT MAHAJAN NATIONAL SECURITY: ISLAM Christen missionaries IN JAPAN: NEVER KNEW THIS JAPAN They are indeed a very evolved race.   Something we Hindus sadly lack in spite of having an equally great, or s...

Monday, December 3, 2012

विवेक विचार मासिक - डिसेंबर २०१२

डिसेंबर २०१२
नमस्ते,
विवेक विचार मासिकाचा डिसेंबर २०१२ चा अंक
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Saturday, November 24, 2012

योद्धा सम्राटासारखेच जगले बाळासाहेब

$img_titleएका व्यंग्यचित्रकारापासून हिंदुहृदयसम्राटापर्यंतचा प्रवास गाठणार्‍या बाळासाहेब ठाकरेंनी आठवणींचा अनंत ठेवा मागे ठेवला आहे. या आठवणी स्वतःच वैशिष्ट्यपूर्ण ठरतील, यात शंकाच नसावी.

हिन्दुत्व जीता सेकुलरवाद हारा

 

Wednesday, November 21, 2012

"कसाब' निर्मिती कारखान्याचे काय ? ? ?


कसाबला शिक्षा म्हणजे दरोडेखोराच्या पोराला शिक्षा. खरा सूत्रधार तर पाकिस्तान आहे. कसाबला तयार करून, प्रशिक्षित करून आमच्या घरात अराजक माजविण्यासाठी धाडणारा दहशतवादी राक्षस तर पाकिस्तानच आहे. अर्थात कसाबला फासावर लटकवले ते योग्यच...

Tuesday, November 20, 2012

कोण आहेत एस. गुरुमूर्ती ?

S Gurumurthy

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Shobha Warrier
After charges against Bharatiya Janata Party President Nitin Gadkari were splashed by the TV channels, one person who was seen most on TV was Chartered Accountant S Gurumurthy. He was seen coming out of senior BJP leader L K Advani's house and was seen meeting other top BJP leaders. He was also seen outside Nitin Gadkari's house.

Sunday, November 18, 2012

सिंहस्त...

आम्हा घरी धन शब्दचीच रत्ने... हे खरे असले, तरीही काही व्यक्तींना शब्दांच्या रत्नांमध्येही तोलता येत नाही. संपादकीय नि:शब्द होतात असे त्यांचे कर्तृत्व असते. शब्दांच्या चिमटीत त्यांना पकडता येत नाही. आधुनिक संगणक प्रणालीत अक्षरे आणि मधली मोकळी ‘स्पेस’ यांचे ‘कॅरेक्टर’ होते. असे कितीही कॅरेक्टर खर्च केले तरी त्यांच्या जगण्याची मूल्यं तोलता येत नाहीत. बाळासाहेब ठाकरे यांना अशा कुठल्याच उत्कट शब्दांमध्ये बांधता येत नाही. कितीही अन् काय-काय सांगून झालं तरीही बरंच काही उरतंच... ते एका भारलेल्या, सामाजिक कळवळ्यानं पेटलेल्या सुसंस्कारित कलंदर कलावंताचे जगणे होते. कलावंतांच्या पंखांनी आभाळही झाकता येते अन् मग प्रतिज्ञा पूर्णत्वास जाऊ शकली नाही म्हणून गलितगात्र झालेला एखादा पार्थ अग्निकाष्ठ भक्षण करायला निघाला असताना आपल्या पंखांनी सूर्य झाकोळून सांज उभी करत हा पूर्णपुरुष कलावंत निराश पार्थाला सांगतो, ‘‘हा सूर्य अन् हा जयद्रथ...!’’ बाळ केशव ठाकरे नामक कलावंताने विझलेल्या मराठी पार्थांना उपेक्षेने झाकोळलेल्या सांजेला आपल्या तेजस्वी कुंचल्याने सूर्य साकारून सांगितले, ‘‘हा सूर्य अन् तुम्हाला उपेक्षेने संपविणारे हे सारे जयद्रथ!’’

वाघ गेला!


हिंदुत्वाच्या विचारांची डरकाळी घुमविणारा वाघ आज आपल्यातून गेला आहे. झंझावात या शब्दाचे मूर्तिमंत रूप असलेला नेता, राजकारणाची दिशा बदलण्याचे सामर्थ्य असणारा लोकनेता, समाजजीवनावर आपल्या संघटनकौशल्याने दबदबा निर्माण करणारा संघटक, जनतेच्या मनातले विचार सडेतोड शब्दांत मांडणारा जनतेचा आवाज, समाजात चुकला की ठोकला, अशा शैलीत काढलेली व्यंग्यचित्रे म्हणजे रंगकुंचल्याचे फटकारे कसे असतात ते रूढ करणारा अलौकिक कलाकार, समाजातील दैन्य, देशद्रोही आणि समाजविरोधी तत्त्वांवर ठाकरी भाषेत प्रहार करणारा एक झुंझार पत्रकार, जनतेच्या वेदना शब्दांचे चाबूक फटकारत मांडणारा सव्यसाची संपादक आज हरपला आहे.

Saturday, November 10, 2012

वाचा विवेक विचार दिवाळी अंक

नमस्ते,
विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारीचे सांस्कृतिक मराठी मासिक वाचण्यासाठी पुढील लिंकवर क्लिक करा...


दलित मुस्लिम-दलित ख्रिश्‍चन?


रविवारचे भाष्य दि. जुलै २०१२ करिता
गेल्या आठवड्यात, दिल्लीहून प्रकाशित होणार्या ऑर्गनायझरया इंग्रजी साप्ताहिकात' Who is Secular? And what is Secular' या शीर्षकाचा माझा लेख प्रकाशित झाला होता. त्याची दखल सर्वत्र घेतली गेली याचा मला आनंद आहे. इंडियन एक्सप्रेसनेही आपल्या दि. जुलैच्या अंकात व्ह्यू फ्रॉम् राईटया स्तंभात पुरेशा विस्ताराने त्याचा सारांश प्रकाशित केला आहे. त्या लेखानंतर, मला अनेक ठिकाणांहून अभिनंदनाचे संदेशही आले. हिंदुस्थान टाईम्सया सुप्रसिद्ध इंग्रजी दैनिकाच्या एका वार्ताहराने मला एक दूरध्वनी करून, प्रश् विचारला की, ‘‘दलित ख्रिस्ती दलित मुस्लिम यांना आरक्षण देण्याला संघाचा विरोध आहे, असे बिहारचे मुख्य मंत्री नीतीशकुमार यांनी म्हटले आहे, आपले मत काय?’’ मी म्हणालो, ‘‘मी माझे वैयक्तिक मत देईन.’’ आणि त्यांनाच प्रश् केला की, ‘‘आपण ऑर्गनायझरमधील लेख वाचला आहे काय?’’ त्यांनी तो वाचलेला नव्हता. मग मी एवढेच म्हणालो की, ‘‘धर्माच्या आधारावर आरक्षणाला आपल्या संविधानाची मान्यता नाही आणि सर्वोच्च न्यायालयानेही तसाच निर्णय दिला आहे. आपण माझा लेख वाचा आणि मग प्रश् विचारा.’’ त्यानंतर त्यांचा पुन: दूरध्वनी आला नाही.

भाजपाची अ-स्वस्थता

-मा. गो. वैद्य
रविवारचे भाष्य दि. ११ नोव्हेंबर २०१२ करिता 
भाजपात अस्वस्थता आहे. भाजपावर टीका करण्यासाठी किंवा त्या पार्टीची निंदा करण्याकरिता मी हे म्हणत नाही. भाजपाचे स्वास्थ्य चांगले दिसत नाही, असे मला जाणवते. त्या पार्टीचे स्वास्थ्य चांगले रहावे, तीत एकजूट रहावी, तिच्या कार्यकर्त्यांनी आणि विशेषत: नेत्यांनी, आपल्याच पक्षाला कमजोर करू नये, या इच्छेने मी हे म्हणत आहे; आणि असे वाटणार्‍यांमध्ये मी एकटाच नाही. भाजपाविषयी सहानुभूती असणार्‍या, २०१४ च्या लोकसभेच्या निवडणुकीत भाजपाने अग्रेसरत्व प्राप्त करावे अशी इच्छा असणार्‍या असंख्य लोकांना असे वाटते. विशेष म्हणजे असे वाटणार्‍यांमध्ये जे भाजपामध्ये सक्रिय आहेत, लहानमोठ्या पदांवर आहेत, त्यांनाही असे वाटते.

Friday, November 9, 2012

national हेराल्ड, सोनिया गांधी आणि ...

National Herald affair: It’s fraud all the way

08th November 2012 07:42 AM
The bare facts exposed by Dr Subramanian Swamy on the National Herald affair this month are eloquent, needing very little prose. The fraud is explicit without exposition. Here are the basic facts. Financial crisis forced Associated Journals Limited (AJL), the publishers of National Herald newspaper founded by Pandit Nehru, to close down the paper in 2008. To pay off the employees to help the closure, the Congress Party had given interest-free loan of Rs 90 crore plus to AJL, then. With the newspaper shut, AJL had become a mere real estate company in 2008, with property in Delhi, Lucknow and Mumbai worth over Rs 2,000 crore in its balance sheet. Against this, AJL owed just Rs 90-crore plus to the Congress. It had very little liability, besides. The balance real estate of AJL, left after paying off the dues to Congress, legally and morally belonged to AJL’s thousand plus shareholders. Big and small, they had contributed Rs 89 lakh to AJL’s capital, when the Rupee was hundred times more valuable. If AJL’s real estate had been sold and cash distributed to the shareholders,     Brahm Dev Narain, a teacher holding just 41 equity shares in AJL, would have got some Rs 84,000. Hundreds of others would have got similar sums.

मावळत्या दहशतवादाचे प्रतीक बनेल का मलाला?

मुजफ्फर हुसेन
मिहिलांच्या संदर्भात मुस्लिम देशांमध्ये अलीकडे कोणती ना कोणती घडामोड होतच असते. पाकिस्तान तर प्रारंभापासूनच या विषयात सर्वांच्या समोर आहे. मुख्तारन बी चे प्रकरण जेव्हा घडले, तेव्हा संपूर्ण जग स्तंभित झाले होते. एका कबिल्याने, एका महिलेवर आठ जणांनी बलात्कार करावा, असा फतवा काढला आणि त्या असहाय महिलेवर आठ जणांनी अत्याचार केला. पाकिस्तानात अजूनही कबिल्यांचे जागोजागी प्रस्थ असल्यामुळे, तेथे असे फतवे निघणे ही नित्याचीच बाब झाली आहे.

Tuesday, November 6, 2012

मोदी पंतप्रधान झाले तर...

भाऊ तोरसेकर  





   नुकतेच गेल्या रविवारी, विसनगर, गोविंदचकला पटेलवाडीमध्ये विधानसभा निवडणूकीच्या पूर्वतयारीसाठी गुजरातचे माजी मुख्यमंत्री शंकरसिंह वाघेला यांच्या उपस्थितीत सक्रीय कॉंग्रेस कार्यकर्त्यांचे संमेलन आयोजित करण्यात आले होते. या संमेलनात वाघेला यांनी आपल्या भाषणात एक टिप्पणी केली. ’गुजरातमध्ये गेल्या २० वर्षांपासून कॉंग्रेस हरत आली आहे. अजून एखाद्या वेळी कॉंग्रेस हरेलही, पण जर का गुजरातमध्ये भाजप हरला तर नरेंद्रभाई मोदींचे काय होईल?’

Wednesday, October 31, 2012

केरल में मुस्लिम कट्टरवाद की चुनौती

क्या राष्ट्रीय शक्तियां एकजुट होंगी?
देवेन्द्र स्वरूप

तारीख: 10/27/2012 11:42:41 AM

वर्ग-संघर्ष के द्वारा शोषणविहीन-समतामूलक समाज रचना की विचारधारा के रूप में मार्क्सवाद पूरे विश्व में असफल सिद्ध हो चुका है। अब जो कुछ शेष बचा है वह है विचारधारा के आवरण में सत्ता पर काबिज होने के लिए लालायित कुछ संगठित गिरोह। अब उनके लिए विचारधारा का अर्थ कुछ घिसे-पिटे शब्दों और प्रतीकों का मुखौटा लगाकर सत्ता-प्राप्ति की निर्लज्ज साधना मात्र रह गया है। इसका ज्वलंत उदाहरण चीन के रूप में हमारे सामने है। यह खुली सचाई है कि चीन अब पूरी तरह से पूंजीवाद, बाजारवाद और उपनिवेशवाद के रास्ते पर चल रहा है। उसकी एकमात्र आकांक्षा आर्थिक और कूटनीतिक क्षेत्र में अमरीका को पीछे छोड़कर विश्व की सबसे बड़ी शक्ति के रूप में उभरना है। इसके लिए चीन ने अधिनायकवाद का रास्ता अपनाया है। वहां न बहुदलीय राजनीतिक प्रणाली है, न मीडिया को विचार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता। वहां सत्ता-सूत्र किसी एक व्यक्ति या छोटे से गिरोह के हाथों में केन्द्रित हैं। किन्तु अपनी इस एकमुखी अधिनायकवादी व्यवस्था के मुखौटे के रूप में चीन अभी भी स्वयं को कम्युनिस्ट कहता है। चीन सत्तारूढ़ दल को कम्युनिस्ट पार्टी नाम से पुकारता है। कम्युनिस्ट पार्टी की पुरानी संगठनात्मक संरचना की शब्दावली को दोहराता है, जैसे- केन्द्रीय समिति, उसके ऊपर 25 सदस्यों का एक पोलित ब्यूरो, इसके ऊपर 9 सदस्यों की एक कोर या स्थायी समिति और उसका सूत्रधार एक महासचिव, जो चीन की सरकार का राष्ट्रपति भी होता है। सत्ता की पूरी ताकत इस एक व्यक्ति में ही केन्द्रित होती है।

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