नई दिल्ली [नीलू रंजन]। अपनी गर्दन फंसने के बाद गृह मंत्रालय ने चार साल बाद चुप्पी तोड़ते हुए इशरत जहां और उसके साथियों को लश्कर-ए-तैयबा का आतंकी साबित करने पर आमदा हो गया है। गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने खुलासा किया कि इशरत जहां के साथ मुठभेड़ में मारा गया जावेद शेख दरअसल डबल एजेंट था, जो आतंकियों की गतिविधियों की पल-पल की जानकारी आइबी को दे रहा था।http://www.jagran.com/news/national-home-ministry-considered-ishrat-jahan-terrorist-10518407.html
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ध्यान देने की बात है कि गृह मंत्रालय ने गुजरात हाईकोर्ट को सौंपे अपने दूसरे हलफनामे में इशरत और उसके साथियों के आतंकी होने के पुख्ता सुबूत नहीं होने का दावा किया था, इसी के बाद अदालत ने इसकी सीबीआइ जांच का आदेश दिया था। अधिकारी का यह भी कहना है कि जिन नरेंद्र मोदी को फंसाने के लिए हलफनामा बदला गया था, वह प्रधानमंत्री पद के दावेदार बन चुके हैं और अधिकारी बेवजह राजनीति का शिकार हो रहे हैं।
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इशरत जहां और उसके साथियों के लश्कर-ए-तैयबा आतंकी होने पर अब तक चुप्पी साधे गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि उनके लश्कर के आतंकी होने के पुख्ता सुबूत हैं। मामले से जुड़े आइबी और अपने अधिकारियों की गर्दन फंसते देख मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कोई इशरत के साथ मारे गए दो पाकिस्तानियों के बारे में बात क्यों नहीं कर रहा है।
लश्कर-ए-तैयबा जावेद शेख को इन आतंकियों के भारत में पहुंचने, उन्हें हथियार मुहैया कराने से लेकर मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाने की पूरी योजना बता रहा था। लेकिन जावेद शेख लश्कर के साथ-साथ आइबी के लिए भी काम करता था। जाहिर है पुख्ता जानकारी के आधार पर आइबी के तत्कालीन संयुक्त निदेशक राजेंद्र कुमार ने राज्य पुलिस को अलर्ट किया था।
इस पूरे मामले में राजेंद्र कुमार को निर्दोष बताते हुए वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि मंत्रालय उनकी हरसंभंव सहायता करेगा और जरूरत पड़ने पर सीबीआइ के खिलाफ अदालत को इशरत जहां व उसके साथियों के आतंकी होने का सारा सुबूत देगा। उनके अनुसार इस मामले में राजेंद्र कुमार को सजा होने के बाद देश की आंतरिक सुरक्षा को बड़ा खतरा हो सकता है।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में भारत में आतंकी हमले की हर दिन योजना बनती हैं, पर खुफिया एजेंसियों की मुस्तैदी के कारण वे सफल नहीं हो पाती हैं। राजेंद्र कुमार को सजा होने की स्थिति में कोई भी खुफिया अधिकारी ऐसी जानकारी राज्यों को देने से परहेज करेगा। जाहिर है तब आतंकियों को रोकना संभव नहीं होगा।
छह अगस्त 2009 में अपने पहले हलफनामे में इशरत जहां और उसके साथियों को लश्कर आतंकी बताते हुए गृह मंत्रालय ने मुठभेड़ की सीबीआइ जांच का विरोध किया था। लेकिन तत्कालीन गृहमंत्री पी. चिदंबरम के दबाव में दो महीने के भीतर गृह मंत्रालय ने अपना हलफनामा बदल दिया और इशरत व उसके साथियों के आतंकी होने के पुख्ता सुबूत नहीं होने का दावा करते हुए सीबीआइ जांच का समर्थन कर दिया था।
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